मेरे कर्दार को संभालो जानी। तो समझ आए हम क्या है? बस तुम्हारे तकाजा भर से हम बेवफा नहीं हो सकते। तुम्हे इल्म नही मेरे नुकसान का हमने क्या कुछ नहीं खोया है जिदंगी भर। एक तुम्हारे कह देने भर से हम रह गुजर नही हो सकते। तुम्हे समझ कहा इस दुनियां की। तुम एक समय तक साथ थे मेरे,तुम साथ चलो तो समझ आए की गालियाँ क्या है? कि बहुत से खमियाजा भुगता है हमने। तुम्हारे सुन लेने भर से नज़रिया नही बदल सकता। और तुमने क्या कहा? तुमने बहुत कुछ सुना है मेरे बारे में। तो तुम्हारे सुन लेने भर से मौसमे नही बदल जाया करती। कभी निकलो धूप में तो पता चले। की पीपल की ठंडी छाव क्या है? गर फ़ितरते है मेरी बदल जाना। तो एक तुम्हारे जाने भर से मेरी जिंदगी यूं ना तबाह होती। और शायद तुमने सुना होगा। की हम है,रह गुजर! हाँ गए थे हम कई मखबली बाहों में, यूं रातों को उठ- उठ कर मयखानो में। मगर यकीन मानो तुम्हारी सुगंध मुझे किसी और का होने ही नही देता। - राधा माही सिंह
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