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गाँव के सड़कें

मुझे मेरे गाँव की सड़के ना जाने क्यों? अच्छी लगती है। आढी-टेढी हो कर मेरे घर को निकलती है। मुझे मेरे गाँव की सड़कें ना जाने क्यों?  पसन्द पड़ती है? उन सड़को पर कभी-कभी घोड़ा गाड़ियाँ तथा बैलों की हुज़ूमे पार हो जाया करती है। बस मौत के देवता को छुड़ा कर।  कभी-कभी वहाँ होलियो में प्रेम की धारा बहा करती है। तो अक्सर दिवालियो में मेरे गाँव के सड़के जगमगा उठती है। ना जाने क्यों? मुझे मेरे गाँव की सड़कें जो आढी-टेढ़ी हो कर एक रेल्नुमा पटरियों सी लगती है। जिसके ठीक नीचे ही, सरसों की पीली-पीली बालियां सज-धज कर मेरे मन को लुभा रही होती है। हर मोड़ पर मेरे गाँव के रास्ते मुद जाती और मुझको मेरे अपनो से मिलते हुए मेरे घर को छोड़ जाती है। शायद इसलिए मुझे मेरे गाँव की सड़कें बहुत प्यारी लगती है।       -राधा माही सिंह

यादे

यादों के पिटारों से कुछ यादे निकली हूँ। आज तक नई जैसी है। यह देख कर सोच रही हूँ। तो यह यादे कैसी है? यादों के पिटारों से कुछ यादे चुराई हूँ। यह जबकी वह अपना था तो यह चोरी कैसी है? हद की यह बिडम्बनाये थी। जबकी मतलब साफ था सभी बातों का। जहॉ हम थे और हमारी यादों के साये में लिपटी तनहाइयां थी।            -राधा माही सिंह कभी तुम भी साफ कर लिया करो पिता की अलमारियों को देखना कितनी यादे निकलती है तुम्हारी। स्कूल के पहले दिन से लेकर आख़िरी टिका करण तक का यादे जहन में समेटे घूमता है। 18के हो जाने पर सीना तान कर चलता है। तुम्हारी हर खुशी को अपने माथे पर रखता है। पिता है साहब जो फ़क़ीर हो कर भी तुम्हे राजकुमारों,राकुमारी सा रखता है।      -राधा माही सिंह मेरा प्रणाम मेरे पिताजी के साथ-साथ उन तमाम पिता को जिन्होंने निस्वार्थ भाव से अपने कर्तव्यों को निभाया है।     #राधा_माही_सिंह     

रिश्ते

रिश्ते बचपन से हमको यही सिखलाया जाता है। रेशम की तरह होते है ये रिश्ते यह बतलाया जाता है। ज़रा सी तना-तानी में टूट जाते है। हर रोज़ की रूसा-फूली में बिखर जाते है। थोड़ी सी ढिल दो तो दूर हो जाते है। सबकी अपनी-अपनी राय थी। सबकी अपनी-अपनी परिभाषये थी। मगर मेरे मन मे उत्पन्न सवालों की एक शृंखला दौड़ रही थी। सवाल यह था, जब ताना-तानी में टूट जाते है रिश्ते तब दादी और दादू के रिश्ते अमेठ क्यों है? जब हर रोज़ अगर रूसा-फूली में अगर बिखर जाते है रिश्ते तो मेरी माँ और पिताजी का रिश्ता आज तक कायम क्यों है?  जब रेशम के कपास की तरह होते है रिश्ते तो एक प्रेमिका और प्रेमी के रिश्ते में दाग क्यों है?         -राधा माही सिंह