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दिल

खो ना दु तुम्हे इस बात से डरता था दिल। दूर ना हो जाऊं तुम से इस सोच में सहम जाता था दिल। तेरी खुशीयो की ख़्तिर खुदा से भी लड़ जाता था दिल। और हुआ भी कुछ ऐसा ही तुम्हारी खुशियो के ख़्तिर आज भी चूप रह जाता है दिल।          - राधा माही सिंह

इन रोते हुई सिसकियों में भी।

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याद आई है।

बहुत दिनो बाद एक खेल याद आई है। फिर से मेरी बचपन की सहेलिया याद आई हैं। चॉक्लेट देने वाले अंकल भी देखो पास बुलाए है। आज फिर से गुड़ा-गुड़िया का विवहा याद आई है। -राधा माही सिंह