याद आई है।

बहुत दिनो बाद एक खेल याद आई है।
फिर से मेरी बचपन की सहेलिया याद आई हैं। चॉक्लेट देने वाले अंकल भी देखो पास बुलाए है।
आज फिर से गुड़ा-गुड़िया का विवहा याद आई है।
-राधा माही सिंह

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