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Showing posts from June, 2021

हम सब तुम्हारे साथ है।

हम सब तुम्हारे साथ है। यह कह कर ही तो दरवाजे से उस दरवाजे तक ले जाया जाता था। माँ-बाप,भाई-बहन,चाचा-चाची से ले कर ईश्वर तक से पहचान कराई जाती थी। चलते-चलते गिर जाने पर धरती माँ को भी मार खानी पड़ती थी। ममता है इसलिए एक हाथो में मेरी बचपन तो दूसरी हाथो में घर की ज़िम्मेदारीयो उठानी पड़ती थी। है... उम्र नही गुज़रा अभी। मगर सीखी बहुत कुछ हूँ! प्रेम में छिपे स्वार्थ को,अपनों के चहरों में पराए रिश्तेदार को। ना जाने किसने कहा था? कि...........!!!  बिता हुआ वक़्त कभी लौटता नही है। मैं हर रोज़ घड़ियाँ देखा करती हूँ। कल भी 12 बजा उतने ही समय पर था जितना कि बीते हुए कल में बज था। बरहाल माज़रा यह नही था कि उस समय-समय क्या था? माज़रा कुछ ऐसा था कि अपनो का मंजर था। महफिलों में जामो पर जाम लगाई जा रही थी। यारो के साथ कश लगाई गई थी। अब ये वो वक़्त है कि ना वो अपने है और ना वो यार है। बस अब सभी मतलब के तलबगार है। आज खुदको उस हाल में महसूस कर रही हूँ। जब बंद मुठ्ठी करके इस जहाँ में आई थी। तब माँ ने मेरे माथे को चूम कर कहा था। हम सब तुम्हारे साथ है।

हौसले बुलंद है मेरे।

कि हौसले बुलंद है मेरे, कि ना लगाओ मुझ पर तोहमतें। कि बिखरी-बिखरी सी लगती है,अब तो ये काली रातें भी काली घटा सी लगती है। कि हौसले बुलंद है मेरे, कि ना लगाओ मुझ पर तोहमतें। कि पल-पल काया डसती है मुझको अबला होने पर, कि अब तो मेरे अंदर ही  मेरी सांसे हर रोज मरती है। कि हौसले बुलंद हैं मेरे,कि ना लगाओ मुझ पर तोहमतें। कि हर रोज यह सवाल मेरे मन को झकझोर जाता है,कि क्यों है इतनी बंदिशें? कि हौसले बुलंद है मेरे,कि ना लगाओ मुझ पर तोहमतें। कि मुझको "बिरहा" सुना रहा है राग उड़ानों की। कि हौसले बुलंद हैं मेरे,कि ना डालो मुझ पर तोहमतें। कि सफर अधूरी ना रह जाये,कि ना डालो मझ पर समाज की उलझने। कि हौसले बुलंद हैं मेरे,कि ना डालो मुझ पर तोहमतें।

झूठ है।

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हाँ मैं ठीक हूँ। शायद यह झूठ है। मेरी आँखों मे डूब रहा सूरज कई दर्दो में ओझल यह बस आँसुओ का बून्द है।  हा मैं ठिक हूँ,शायद यह झूठ है। थक सी जाती हूँ एक पल में,  मैं परेशानियों से दुर्गम पार करने का हौसला अब झूठ है। है मचलती शाम मेरे धड़कनों में, मैं ठहरी हुई सी दिनकर एक झूठ है। हा मैं ठीक हूँ,शायद यह झूठ है। महज हाल पूछने वाले एक रोज समुन्द्र की लहरों को माप वह रुका हुआ है, चलता है यह झूठ है। कई हस्तियों ने दम तोड़ा है मेरे नजरों के सामने है जिंदा आज भी एक कारवा यह झूठ है। तुम्हारे अपनो की मुस्कान कहीं झूठ है। हर वक़्त,हर लम्हा झूठ है। "और बताओ से लेकर क्या हाल है तक " के जबाबों का सफ़र झूठ है। हाँ मेरे महबूब की टूटी हुई धड़कनों को एक रोज सुनी थी मैं वह सिसक रहा था यह झूठ है। हाँ मैं ठीक हूँ से लेकर सब ठीक हो जाएगा तक कि बुनियाद,शायद कहि झूठ है। कि ये रिश्तों का मंजर एक झूठ है। यहाँ खुशियों की खिल-खिलाती धूप की नई किरणों का गिरना एक झूठ है। शायद इस दुनिया की बुनियादी ढांचे झूट है। हमारा और तुम्हारा मिलना भी एक झूठ है।                     -राधा माही सिंह