झूठ है।

हाँ मैं ठीक हूँ।
शायद यह झूठ है।
मेरी आँखों मे डूब रहा सूरज कई दर्दो में ओझल यह बस आँसुओ का बून्द है। 



हा मैं ठिक हूँ,शायद यह झूठ है।
थक सी जाती हूँ एक पल में,
 मैं परेशानियों से दुर्गम पार करने का हौसला अब झूठ है।
है मचलती शाम मेरे धड़कनों में, मैं ठहरी हुई सी दिनकर एक झूठ है।
हा मैं ठीक हूँ,शायद यह झूठ है।
महज हाल पूछने वाले एक रोज समुन्द्र की लहरों को माप वह रुका हुआ है, चलता है यह झूठ है।
कई हस्तियों ने दम तोड़ा है मेरे नजरों के सामने है जिंदा आज भी एक कारवा यह झूठ है।
तुम्हारे अपनो की मुस्कान कहीं झूठ है।
हर वक़्त,हर लम्हा झूठ है।
"और बताओ से लेकर क्या हाल है तक " के जबाबों का सफ़र झूठ है।
हाँ मेरे महबूब की टूटी हुई धड़कनों को एक रोज सुनी थी मैं वह सिसक रहा था यह झूठ है।
हाँ मैं ठीक हूँ से लेकर सब ठीक हो जाएगा तक कि बुनियाद,शायद कहि झूठ है।
कि ये रिश्तों का मंजर एक झूठ है।
यहाँ खुशियों की खिल-खिलाती धूप की नई किरणों का गिरना एक झूठ है।
शायद इस दुनिया की बुनियादी ढांचे झूट है।
हमारा और तुम्हारा मिलना भी एक झूठ है।
                    -राधा माही सिंह

Comments

  1. Heart touching & emotional but deeply thought

    ReplyDelete
  2. Wow it's Awesome dear 🥰🥰

    ReplyDelete
  3. Nice post like and comment 👍👍👍

    ReplyDelete
  4. Nitesh Kumar Singh



    Achha hai kosis kro manzil chhu logi

    ReplyDelete
  5. सुन्दर प्रस्तुति
    सचमुच कहीं ये झूठ ना हो???

    ReplyDelete
  6. सुन्दर प्रस्तुति
    सचमुच कहीं ये झूठ ना हो???

    ReplyDelete
  7. सुन्दर प्रस्तुति
    सचमुच कहीं ये झूठ ना हो???

    ReplyDelete

Post a Comment

Popular posts from this blog

जिद्द

अच्छा लगता है।

एक दौर