तुम आना

ये पायल।
ये झुमके।
ये सब नहीं चाहिए मुझे।
तुम जब भी आना तो एक आधा समय ले कर आना।
जहां हम दोनों पूरी ज़िंदगी मिल कर गुजरेंगे।
ये चॉकलेट।
ये महंगे तोफे।
इसके हम हकदार तो नहीं है।
मगर तुम जब भी आना मेहरबान बन कर प्यार लूटना मुझ पर।
हां माना मैं थोड़ी सी ज़िद्दी हूँ।
मगर ये दिखाना।
ये बात - बात पर जताना।
नहीं चाहिए मुझको।
तुम जब भी मेरे होना बेपाक इरादों से होना मुंतसर कुछ अधूरा सा ही होना मगर सच्चे इबादत से मेरा होना।
मुझको नहीं चाहिए और कुछ भी।
जब भी तुम आना मेरे लिए बस एक गुलाब और अपनी एक आधी जिंदगी ले कर आना जो मेरे संग बितानी हो।
- राधा माही सिंह

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