हौसले बुलंद है मेरे।
कि हौसले बुलंद है मेरे, कि ना लगाओ मुझ पर तोहमतें।
कि बिखरी-बिखरी सी लगती है,अब तो ये काली रातें भी काली घटा सी लगती है।
कि हौसले बुलंद है मेरे, कि ना लगाओ मुझ पर तोहमतें।
कि पल-पल काया डसती है मुझको अबला होने पर, कि अब तो मेरे अंदर ही मेरी सांसे हर रोज मरती है।
कि हौसले बुलंद हैं मेरे,कि ना लगाओ मुझ पर तोहमतें।
कि हर रोज यह सवाल मेरे मन को झकझोर जाता है,कि क्यों है इतनी बंदिशें?
कि हौसले बुलंद है मेरे,कि ना लगाओ मुझ पर तोहमतें।
कि मुझको "बिरहा" सुना रहा है राग उड़ानों की।
कि हौसले बुलंद हैं मेरे,कि ना डालो मुझ पर तोहमतें।
कि सफर अधूरी ना रह जाये,कि ना डालो मझ पर समाज की उलझने।
कि हौसले बुलंद हैं मेरे,कि ना डालो मुझ पर तोहमतें।
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