रिश्ते
रिश्ते
बचपन से हमको यही सिखलाया जाता है।
रेशम की तरह होते है ये रिश्ते यह बतलाया जाता है।
ज़रा सी तना-तानी में टूट जाते है।
हर रोज़ की रूसा-फूली में बिखर जाते है।
थोड़ी सी ढिल दो तो दूर हो जाते है।
सबकी अपनी-अपनी राय थी।
सबकी अपनी-अपनी परिभाषये थी।
मगर मेरे मन मे उत्पन्न सवालों की एक शृंखला दौड़ रही थी।
सवाल यह था, जब ताना-तानी में टूट जाते है रिश्ते तब दादी और दादू के रिश्ते अमेठ क्यों है?
जब हर रोज़ अगर रूसा-फूली में अगर बिखर जाते है रिश्ते तो मेरी माँ और पिताजी का रिश्ता आज तक कायम क्यों है?
जब रेशम के कपास की तरह होते है रिश्ते तो एक प्रेमिका और प्रेमी के रिश्ते में दाग क्यों है?
-राधा माही सिंह
Comments
Post a Comment