जाने किसने
जाने किसने इन मर्दों को प्रेम करने का अधिकार दिया! अगर स्त्रियां होतीं तो ग़ज़लें लिखी जातीं बर्बादियों की। जनाजे उठते हर घर से प्रेमियों के। अगर जब लिखती मोहब्बत एक स्त्री तो लिखती खुशियां अपने महबूब की। जाने किसने इन मर्दों को प्रेम करने का अधिकार दिया? अगर जो करतीं ये प्रेम स्त्रियां तो लिखतीं पायल की झंकार और सुनतीं गीत हज़ार। लिखतीं कागज़ पर अपनी भावनाएं, मिटती अपनी जवानी। अगर जो लिखती प्रेम स्त्री तो लिखती अपनी कहानी। जाने किसने इन मर्दों को प्रेम लिखने का अधिकार दिया! जो हर बार लिखते हैं और मिटा देते हैं। जो हर बार लिखते हैं और मिटा देते हैं। - राधा माही सिंह