मेरे कर्दार को संभालो जानी। तो समझ आए हम क्या है? बस तुम्हारे तकाजा भर से हम बेवफा नहीं हो सकते। तुम्हे इल्म नही मेरे नुकसान का हमने क्या कुछ नहीं खोया है जिदंगी भर। एक तुम्हारे कह देने भर से हम रह गुजर नही हो सकते। तुम्हे समझ कहा इस दुनियां की। तुम एक समय तक साथ थे मेरे,तुम साथ चलो तो समझ आए की गालियाँ क्या है? कि बहुत से खमियाजा भुगता है हमने। तुम्हारे सुन लेने भर से नज़रिया नही बदल सकता। और तुमने क्या कहा? तुमने बहुत कुछ सुना है मेरे बारे में। तो तुम्हारे सुन लेने भर से मौसमे नही बदल जाया करती। कभी निकलो धूप में तो पता चले। की पीपल की ठंडी छाव क्या है? गर फ़ितरते है मेरी बदल जाना। तो एक तुम्हारे जाने भर से मेरी जिंदगी यूं ना तबाह होती। और शायद तुमने सुना होगा। की हम है,रह गुजर! हाँ गए थे हम कई मखबली बाहों में, यूं रातों को उठ- उठ कर मयखानो में। मगर यकीन मानो तुम्हारी सुगंध मुझे किसी और का होने ही नही देता। - राधा माही सिंह
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I want
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I want a man how make me feel like a princess I like the man how will be as like my parents. Yeha....... I want a gentleman how don't take me granted. I want a gentleman man how cooked for me healthy meal. I want a rose's petal how become red for me. I want little happiness No..... I don't have any greediness for anything.. But yeha..... I'm totally thirsty for you. I want a gentleman how always be with me. I want a soft corner in his heart or mind. I don't want to make up him his beleive lie. I want to become her paradise. Sometimes I'll be his valentine. Sometimes I cocked his mind. Sometimes I survived him my love. And I wish that he'll just accept me as well I am.. Yeha... My wisdom is so far as I don't want what's the right or what's wrong? Let me dreaming some more time. Yeha.... I'm in Naked eyes, admiring you in front of mine. No no...... I'm not a dreamer. I just want you be only mine. Could you please be with me every time? As
अब गर
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अब गर तुम प्रेम करना तो उससे करना। जो तुम्हे तुम जैसा चाहे। अब गर तुम प्रेम करना तो उससे करना। जो तुम्हे तुम जैसा सराहे । अब गर तुम प्रेम करना तो उस से करना । जो तुमको तुमसे ज्यादा चाहे। तुम्हारी पसंद ना पसंद को स्वीकारे। अब जो तुम प्रेम करना तो बेहद करना। मगर उससे करना जो तुम्हे टूट कर चाहे। - राधा माही सिंह
हर बार एक नही कोशिश करना
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नौकरी कब मिलेगी सब ने पूछा। मगर किसी ने नहीं पूछा कैसे मिलेगी? सब ने पूछा कब तक हो जायेगा "एग्जाम क्लियर" मगर किसी ने ये नही पूछा की तैयारी कैसी चल रही है? सबने पूछा किताबे तो पढ़ रहे हो ना? मगर किसी ने ये नही पूछा कैसे किताबे पढ़ रहे हो। तो किसने सफल व्यक्तियों का उदहारण दे कर कहा उस जैसा करो। मगर किसी ने ये नही पूछा तुम कैसा करना चाहते हो? सब अपने ही है ! जो अपने सवालों को लिए बैठे है। तुम जब भी किसी से मिलना तो पूछना निंदे तो अच्छी आती है ना ? इस बार परीक्षा की तैयारी कैसी चल रही है? संभवता थोड़ी कठिन ही होगी ! क्या हुआ इस बार नही हुआ तो ? अभी तो उम्र बाकी है ना। ये ना सही वो कर लेना, वो भी ना सही तुम आज़ाद ही रह लेना। क्या हुआ जो ना मिला। समझ लेना वह तुम्हारे हिस्से का था ही नही। मगर.....!!! लिखना खुद की कहानी, हो वो कहानी पुरानी ही सही। कोई क्या पूछेगा? क्या कहेगा? तुम यह मत सोचना। पिता जी ने सारे पैसे झोंक दिए इसकी फिकर तुम मत करना। तुम जो करना चाहते हो तुम वही करना। तुम जैसे चाहते हो! जितना चाहते हो उतना ही करना। कम जायदा इसका उसका इस लिए उस के लिए का फिकर तुम मत करन
जिद्द
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अब वो शाम नही आता मेरे आंगन में। जिस रोज़ से तेरा जाना हुआ है। था ये कैसा जिद्द तुम्हारा आज शहर तुम्हारा अपना और गांव अनजाना हुआ है? आज बेगाना सारा जमाना हुआ है। जिस रोज से तेरा जाना हुआ है। कभी गिरते थे पत्ते झाड़ कर आंगन में। अब बसंत को भी बहना हुआ है। आखों में हर रोज रहता है सावन। भला सर्दी का कोई ठिकाना रहा है? जिस रोज़ से तेरा जाना हुआ है। था ये गुलशन बहार। आज सुखा - सुखा सा ये संसार हुआ है। जिस रोज से तेरा जाना हुआ है। था ये कैसा जिद्द तुम्हारा आज शहर तुम्हारा अपना और गांव अनजाना हुआ है। -राधा माही सिंह
अच्छा लगता है।
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मुझे अच्छा लगता है। कभी - कभी हवाओं में रहना। मुझे अच्छा लगता है। यूं खुले बालों को झटकना। मुझे अच्छा लगता है। फूलों के संग बाते करना। मुझे अच्छा लगता है। खुले अस्मानो में सपनों को बुनना। मुझे अच्छा लगता है। किताबों को पढ़ना। मुझे अच्छा लगता है। खुदमे गुम रहना। मुझे अच्छा लगता है। प्रेम में हो कर भी आज़ाद रहना। मुझे अच्छा लगता है। हवाओं में रहना। मुझे अच्छा लगता है। तितलियों संग उड़ना। मुझे अच्छा लगता है। खुदको हर रंग में रंगना। मुझे अच्छा लगता है। खुदको लिखते रहना। मुझे अच्छा लगता है। संगीतो में घुलना। मुझे अच्छा लगता है। हवाओं के संग- संग बहना। -राधा माही सिंह
कौन जानता है!
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जाने अंदर क्या छिपा है? सब मुंह पर राम बोल जाते है। पीठ पीछे खंजर भोक जाते है। जाने किसके अंदर क्या छिपा है? सब सामान्य है, सामान्य है। कह - कह कर, हमारा हर रोज हक लूट जाते है। दरअसल इसकी आदत तो हम घर से ही दिलाई जाती है। अब चाहे घर के सभी फैसले चाहे हम कर ले, मगर लड़का/लड़की अक्सर पिता जी का पसंद का ही होता है। अब होना भी लाजमी है,क्योंकि उनके पिता जी ने भी तो यही किया है। सब अपने है। बस ये दिखाते है। जी सही ही तो बोला मैंने। कि सब दिखाते ही तो है। वरना कौन जानता है? किसका जान कौन मांगता है? अब कल कि ही तो बात है। अनजाने थे हम कुछ साल पहले। अब कई अरसो से हम एक दूसरे की जान है। मगर जिसने जन्म दिया वो आज मेरे हालातों से अनजान है। कौन जानता है? किसके मुंह में राम है? और किसके मुंह पे राम है? या जाने किसने कितना गमों के समंदर में खुदको नहल्या है। या आज भी पाप को गंगा में धो कर आया है? कौन जानता है। किसके अंदर क्या है? - राधा माही सिंह