जिंदगी उसुल बदल रही हैं।

जिंदगी अपनी उसुल बदल रही है ।
पानी की कीमत खून मांँग रही है।
जिंदगी अपनी उसुल बदल रही है ।
जीने को ही जान मांँग रही है।
मछली पानी मे रह कर भी तड़प रही है।
मौत भी मौत की दुआ मांँग रही है।
जिंदगी अपनी जीने की उसुल बदल रही है।
                     - राधा माही सिंह

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