अब और नही।

दर्द है तेज़ अब और नही सहा जाएगा।
तुम से दूर अब और नही रहा जाएगा।
कम्बख्त मौत क्यों नही आ जाती मुझको अब ना जाने किस कदर से रुसवाई तड़फएगा।
मुर्दे भी नही जलेगी मेरी जब तलक वो मुझको हाथ ना लगाएगा।
दर्द है तेज़ अब और नही सहा जायगा।
यह बरश्ते बादल की घटा कब जाने मेरे आँखों से दूर जाएगा।
ज़ख्म है गहरा अब दावा भी ना काम आएगा।
और पता नही कब खुदा मुझको अपने दर पर बुलाएगा।
दर्द है तेज़ अब और नही सहा जाएगा।
हस्ते मुस्कुराते सबो से मिला करती हूँ मगर अब यह सील-सिला यही थम जाएगा।
अब शायद फिर से सब कुछ बदल जाएगा।
दर्द है तेज़ अब और नही सहा जाएगा।
    - राधा माही सिंह

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