माँ
जब थक सी जाती हूँ इन काली रातो से तब तुम मेरी रोशनी बन जाती हो।
मेरी हर लम्हो की जिंदगानी बन जाती हो।
टूट जाती हूँ जब खुद से मैं तब तुम एक मात्र सहारा बन जाती हो।
लोगो से हास् कर मिलना सिखलाती हो।
लाख बुरा हो जाये मगर खुद से अच्छा रहने का अहसास कराती हो।
विसवास में भी आश छिपा होता है यह बतलाती हो।
मुझे सुन कर खुद समझ कर और तब समझती हो।
मेरी हर मुस्किलो की रास्ता बन जाती हो।
माँ तुम मेरे दोस्तों की कतार में भी आगे नज़र आती हो।
भले तुम मुझ से अपने दुःखो को छिपाती हो मगर मेरी खुशियों की वजह बन जाती हो।
कहने को तो मामूली सा रिश्ता है हम माँ बेटी का बस "इस चौखट से उस चौखट का" खेल है मगर मईयत तक साथ निभती हो।
माँ तुम मेरे हर भगवान से पहले जानी जाती हो।
मेरी हर tv-sireal की अभिनेत्रि बन जाती हो।
माँ तुम मेरी inspiration कहलाती हो।
-राधा माही सिंह
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