लेखक

कहानी अब खत्म हो चली है।
और लोग तालियाँ बजा रहे हैं।
क्योंकि लेखक ने सच को मुर्दा बना दिया है,और मुर्दे में जान डाल दिया है।
अपने ग़मो को कलमो में क्या उत्तर दिया है।
लोगोने उसे ग़ज़ल का बादशाह बना दिया है।
अब लिखू क्या किसी कहानी को?
लोगो ने दिल फेक आशिक करार कर दिया है।
मुज़रिम भी थे,गुन्हेगार भी थे मगर सज़ा सुनने वाले ने बेगुनाह करार दिया है।
महफ़िल भी लगा है,लोगो का हुज़ूम भी उमड़ा है।
मगर अज़नबियो का इसमें अपना कोई नही आया है।
चका-चोन्द भरा है।
लोग बातों से जगमगा रहे है।
क्या पता कौन कितना और किस से ग़म छिपा रहे है?
    -राधा माही सिंह

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