त्यौहार।

हाँ मुझे त्यौहारे बहुत पसंद है।
क्योंकि इस दिन मेरे पिताजी मेरे पास होते है।
मेरी बहन मेरे साथ होती है।
उस दिन मेरा घर-घर होता है।
मिलकर मेरे घर का दिवारे साथ हस्ता है।
हाँ मुझमे अब भी बचपना है।
इसलिए ये आँखे हर बार कैलेंडर पर त्यौहारो को ढूंढता है।
आज भी मैं उंगलियों पर गिनती हूँ,की कब आएगा त्यौहार?
कब आएगा उपहार?
उपहार अपनो के साथ होने का।
उपहार अपनो के पास होने का।
उपहार एक बार मिलकर खिल-खिलाने का।
उपहार (आशीर्वादो) को खुद में समेटने का।
हाँ आज भी मुझे याद है वो विद्यालय की छुट्टीयो की अर्ज़ियाँ जहाँ लिखा होता था त्यौहार।
मुझे याद है आज भी वो दादी की थपकियां जहाँ सहेजा होता था इन त्यौहारो की अनसुनी कहानियाँ।
हॉ मुझे इन्तेजार रहता है त्योहारों की।
क्योंकि बचपन्न अब भी मिटा नही है।
मैं वही हूँ जिसका किस्सा पूरा हुआ नही है।
            -राधा माही सिंह 

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