एक तरफा इश्क़
मानी मेंरी मोहब्बत एक तरफ़ा है।
कम से कम मुकम्मल ना सही उसे मेरी अहसास करा देना।
हुआ ना वो मेरा तो क्या?
ऐ मेरे मोल्ह उसके दामन में खुशियों की सौगाते भर देना।
महफूज़ रखना मेरी अश्क़ि को चाहे मुझे बर्बाद कर देंना।
मेरी कलमो की बहती प्रेम है,वो मेरी कागज़ों की लिपटी साज़ है वो।
हो जाए चाहे कोई और जब उसकी पसन्द।
तो मुकम्मल उसका इश्क़ कर देना।
मानी मेरी मुकम्मल अधूरी थी दास्ताने मोहब्बत की कहानी इस जन्म में।
मेरे खुदा अगले जन्म उसे मेरा कर देना।
हो इतनी तलब मुझे पाने की-की उसे इस कदर से प्यासा कर देना।
मेरे मालिक मुक्कमल मेरी मोहब्बत ना सही उसे मेरे ना होने का जज़्बात समझा देना।
जरा सा भोला है मेरा प्रेमी उसके हाथों को पकड़ कर उसकी जिंदगी रंगून कर देना।
मेरे मोल्ह मैं मानी मेरी अधूरी है प्रेम कहानी।
उसे हर बार ना सही कम से कम एक पल को मेरा कर देना।
राधा माही सिंह
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