महज़ सब ख़ाक ही तो है।
Picture credit- Mahipal Singh
बस एक निशान ही तो है।
महज़ सब तूर ख़ाक ही तो है।
वो मेरा है,वो मेरा ही रहेगा!
यह बस उलझी-उलझी सी सवाल ही तो है?
यह ज़िन्दगी बस एक कारवा ही तो है।
हर रोज़ मिलते है नये चहरो से,मगर उनके चहरे का तस्वीर इन आँखों मे महफूज़ आज भी तो है।
बेतहाशा तलब थी पाने की उन्हें यह ख़्वाब महज़ एक ख़्वाब आज भी तो है।
क्या हुआ जो वो कारवा गुज़र गया?
इन रेतो पर पड़ी छाप खिल-खिला रही आज भी तो है।
मोहब्बत की इल्म,चाहतों की शौख महज़ तूर ख़ाक ही तो है।
वो मेरा है,मेरा ही रहेगा!
यह उलझी-उलझी सी सवाल ही तो है।
-राधा माही सिंह
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