काफिरों को खुदा मिला।
मुसाफिरों को सहारा।
जब बारिश आई शहर में, तो डूब गया घर हमारा।
हर जगह मची थी त्राहि मैने समझा साथ तुम्हारा।
जब आई इस उम्मीद से दहलीज पर तुम्हारे मगर तुम रख ना सके मान हमारा।
काफिरों को खुदा मिला।
मुसाफिरों को मिला सहारा।
जब लगी आग बस्ती में,तब घर जल गया हमारा।
जब बचा कुछ नही तो हमने याद किया उन्हे।
उन्होंने कह दिया क्या रिश्ता है हमारा और तुम्हारा?
काफिरों को खुदा मिला।
मुसाफिरों को मिला मंजिल।
जब आई मेरी बारी,मुकर गया खुदा हमारा।
-राधा माही सिंह
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