क्यों?

क्यों किसी कहानी में "एक लड़का और एक लड़की होती है?"
क्यों किसी कहानी में किरदार "नदी,झरना और पहाड़ों का सुहाना होता है?"
क्यों किसी किरदार को "कहानी के अंत में मरना होता है? "
क्यों किसी कहानी में "उन दोनो को बिछड़ना होता है?"
और क्यों मैं यह सवाल खगाल रही हूं?
बे - मतलब ही अपना खोटा सिक्का उछाल रही हूं!
क्यों मैं चोखट पर बैठे ये रात गुजार रही हूं?
क्यों किसी किरदार के पीछे भाग रही हूं?
क्यों किसी अभिनय में "हवाएं ना दिखते हुए भी बखूबी किरदार अदा कर जाते है?"
क्यों किसी कहानी में "किसी को किसी के लिए रोना होता है?"
और क्यों मैं परेशान हूं,किसी अभिनय या किसी किरदारो से?
क्यों और क्या चाहती हूं इन किरदारो में?
जो खुद को आईने में देखने तक से कतराती हो।
मगर आज क्यों अकेले बैठ कर किरदारो से रूबरू होने की चाहत रखती है? 
           -राधा माही सिंह

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