काश!
कि काश मेरी सासो की लड़ी यहीं टूट जाती।
तो अपनो का साथ इसी पहलू में छूट जाता।
फरेबो की दुनिया यही रूक जाती।
कि काश मेरी सासो की लड़ी यहीं टूट जाती।
बिच रास्ते में खड़ी बस यही सोच रही हूं।
कि काश कोई सुकून का पता दे जाता।
कुछ और ना सही।
बस इस जिंदगी को एक पल का सब्र मिल जाता।
-राधा माही सिंह
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