जाने क्यों ?
जाने मुझे ऐसा क्यों लगता है,
कि एक तुझे पा कर मेरी सारी अधूरी सी ख्वाहिश मुकम्मल हो जाएगी?
जाने मुझे ऐसा क्यों लगता है,
कि तेरे दीदार भर से मेरी चाहतों की हंसरते पूरी हो जाएगी?
जाने मुझे ऐसा क्यों लगता है,
कि तुम्हारे बाहों में उलझ कर मेरी उलझने कम हो जाएंगी?
जाने मुझे ऐसा क्यों लगता है,
कि तुम्हारे छूने भर से मेरी बेचैनियाँ मर जाएंगी?
जाने मुझे ऐसा क्यों लगता है,
कि मेरी हर बात तुम पर खत्म हो जाएंगी?
जाने मुझे क्यों लगता है,
कि तुम्हें पा लेने भर से मेरी हर जुस्तजू राबता हो जाएगी
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